मूंगे के लाभ विशेष चिकित्सा
1. रक्त संबंधी विकारों में मूंगा बहुत लाभकारी है। इसकी भस्म को शहद के साथ सेवन करे या मूंगा डालकर रखे गये जल का सेवन करें।
2. निम्न रक्तचाप में एक दाना मूंगा, एक दाना रुद्राक्ष के क्रम में व तार में बनी हृदय तक लम्बी माला धारण करना लाभकारी है। अथवा मूंगे की भस्म का शहद के साथ सेवन करना चाहिए।
3. दिल डूबना/दिल घबराना/ दिल की कमजोरी तथा मन का उचाट रहन
जैसे रोगों में प्रवाल पिष्टी (मूंगे की पिट्ठी) का सेवन करना चाहिए।
4. मंदाग्नि, अरुचि, भूख न लगना तथा पाचन तंत्र की सुस्ती दूर करने के लिए मूंगाभस्म या प्रवाल पिष्टी गुलाबजल के साथ लें। तांबे के पात्र में मूंगा इल
कर रखा गया जल नित्य पीना भी लाभ देता है।
5. प्लीहे की समस्या या पेट का दर्द हो तो मूंगे की भस्म मलाई के साथ चाटने से आराम आता है। मूंगे की भस्म का सेवन शारीरिक कमजोरी तथा पट्ठों की
निर्बलता को भी दूर करता है।
6. हृदय रोग, मिर्गी, वायुकम्प आदि रोगों में मूंगे की भस्म का दूध के साथ सेवन करना चाहिए। अथवा प्रवाल पिष्टी व मुक्ता भस्म शहद में मिलाकर चाटें।
7. सिरदर्द तथा सिर के बाल उड़ जाने की समस्या में मूंगा (प्रायः 8/9 रत्ती एक लीटर तेल में) डालकर पकाया गया सरसों का तेल (आधा लीटर रह जाने तक
पकाए) मालिश के रूप में प्रयोग करना लाभकारी होता है। (तीव्र व अधिक लाभ के लिए तेल को बाद में लाल शीशी में बंद कर एक सप्ताह तक सूर्य किरणों से
सिद्ध कर लेना चाहिए। यह शरीर दर्द/जोड़ों के दर्द में भी लाभ देता है)।
मूंगे की प्रभाव-अवधि एवं वजन-कुछ विद्वान मूंगा 6 से 8 रत्ती तक का ही धारण करने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार 6 रत्ती से कम व 8 रत्ती से अधिक वजन का मूंगा प्रभावी नहीं होता। किंतु ऐसा नहीं है। सवा 5 रत्ती से सवा 97 तक का मूंगा अंगूठी में धारण किया जा सकता है। लॉकेट के रूप में सवा दस या सवा बारह रत्ती का मूंगा पहना जा सकता है। दरअसल साढ़े तीन रत्ती से कम का
कोई भी रत्न (हीरा अपवाद है) प्रभावी नहीं होता। अतः सवा 4 रत्ती से आम तौर पर रत्न पहनने की शुरूआत (अंगूठी के रूप में) होती है। किन्तु 4 (कक) मंगल की नीच राशि है अतः 5 (सवा 5) रत्ती से कम का मूंगा नहीं धारण करना चाहिए। जैसा कि नियम है।
मूंगे की प्रभाव-अवधि तीन वर्ष तीन दिन मानी गई है। इसके बाद मूंगा बदल लेना चाहिए या उसकी पुनः प्राण-प्रतिष्ठा करनी चाहिए। मूंगा (नीलम के बाद) अति शीघ्र प्रभाव दिखाता है तथा उग्र होता है। अतः पहले इसका परीक्षण (सूट करता है, या नहीं) कर लेना चाहिए।
विशेष सबसे पहले अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखाए । क्योंकि ऐसा न हो की आपको मूंगा रास न आए और आपको लाभ की जगह नुकसान हो जाए।
जैन साध्वी महाप्रज्ञ
Nice
जवाब देंहटाएंSupar
Nice supar
जवाब देंहटाएंNice post
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंमूंगे का महत्व बहुत सुंदर बताया आपने साध्वी जी
जवाब देंहटाएंNice post
जवाब देंहटाएं👌👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंGreat!
जवाब देंहटाएंअद्भूत ज्ञान
जवाब देंहटाएंThanks didi ji . It's vry beneficial for us... 🙏
जवाब देंहटाएंI like it
जवाब देंहटाएंवन्दामि माता जी🙏🙏[मूंगे का महत्व] इस विषय पर आपने
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी प्रदान की है।
बहुत ही अच्छा विश्लेषण महाराज जी 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा विश्लेषण महाराज जी 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा विश्लेषण महाराज जी 🙏
जवाब देंहटाएंBhgvaan aapki hamesha raksha kare
जवाब देंहटाएंAap aise hi sanyam marg par badhte rho or hame gyan dete rho
🙏🙏👌
जवाब देंहटाएंMaine ye apne anubhav me paya hai
जवाब देंहटाएंYe sach hai
Very nice information sadhvi ji
आपकी परोपकार की भावना को नमन है।
जवाब देंहटाएंभगवान आपकी जुबान पर सरस्वती का वास करें। अपनी लेखनी और वाणी से हमेशा परोपकार करते रहें।
दीदी जी आप बहुत ही साफ दिल की हो। आपका लेख पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा। आपके हृदय में भगवान का वास है । ऐसे ही सभी की मदद करते रहना
जवाब देंहटाएंSundar jaankari
जवाब देंहटाएंAti sunder didi ji🙏🙏
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