शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021

क्या कहती है आपकी हथेली

हथेली से जाने स्वभाव  


हथेली 

मणिबन्ध से आगे अँगलियों तक के मूल भाग को हथेली करतल अथवा 'पाणितल' कहते हैं तथा हथेली के पृष्ठ भाग को कर पृष्ठ की संज्ञा दी गई है। हथेली पर ही मुख्य रेखाएं अवस्थित रहती हैं तथा करपृष्ठ की बनावट एवं रोम-शिराओं के आधार पर जातक के स्वभाव, चरित्र एवं शुभाशुभ का विवेचन किया जाता है। इस प्रकरण में इन दोनों से सम्बन्धित प्राच्य तथा पाश्चात्य विद्वानों के मत का

उल्लेख किया जा रहा है।


हथेली 

भारतीय आचार्यों के मतानुसार हथेली के निम्नलिखित 20 भेद होते हैं


 (1) सवृत निम्न (Round Hollow)- ऐसी हथेली वर्तुलाकार होती है तथा उसका मध्य भाग गोल अण्डे की भांति भीतर की ओर धँसा रहता है तथा जातक ऐश्वर्यशाली तथा सर्वसुख सम्पन्न होता है। स्त्रियां धर्माचारिणी तथा धनवती होती हैं।


(2) उन्नत (Developed)-ऐसी हथेली मध्य भाग में ऊँची उठी रहती है तथा जातक धनी, सखी, धर्मात्मा, उदार तथा दानी होता है। 



(3) निम्न (Hollow)-ऐसी हथेली का मध्य भाग नीचे धँसा रहता है तथा जातक दुर्भाग्यशाली, निर्धन, दुःखी परन्तु सन्तोषी पराक्रमी और धीर होता है।



(4) विषम (Uneven)-ऐसी हथेली का मध्य भाग कहीं उभरा और कहीं नीचे की ओर धँसा हुआ होता है तथा जातक धूर्त, दरिद्र, लम्पट, क्रूर, विश्वासघाती तथा धनहीन (5) रोम-शिराहीन (Hair Nerveless) ऐसी हथेली में रोम तथा शिरा दिखाई नहीं देते तथा जातक सुखी तथा सौभाग्यशाली होता है।

(6) धनमाँस (Well Developed)- ऐसी हथेली कठोर मांसल होती है तथा जातक सौभाग्यशाली, सुखी तथा धनी होता है।


 (7) स्निग्ध (Bright)-ऐसी हथेली चिकनी तथा  चमकीली होती है तथा जातक शुभ फल प्राप्त करने वाला तथा सुखी होता है।

(8) अनुन्नत अनिम्न (Neither Developed Nor Hollow) ऐसी हथेली सामान्यतः पतली होती है और न अधिक उभरी तथा न अधिक धँसी हुई होती है तथा जातक कायर, निरुत्साही, दुःखी तथा अस्त-व्यस्त जीवन बिताने वाला होता है।

(9) रूक्ष किंवा अचिक्कण (Rough) - ऐसी हथेली रूखी होती है तथा जातक दुःखी तथा संकट भोगने वाला होता है।

 (10) खर (Very hot)- ऐसी हथेली बहुत गर्म होती है तथा जातक धन तथा परिवार सम्बन्धी संकटों से ग्रस्त रहता है।

(11) विपर्ण अथवा निस्तेज (Sad or Dismal)-ऐसी हथेली फीकी कान्तिहीन होती है तथा जातक आर्थिक तथा अन्य प्रकार के संकटों से ग्रस्त बना रहता है।


(12) मृदु उन्नत (Soft and developed)- ऐसी हथेली कोमल तथा मध्य भाग में उभरी होती है तथा जातक सद्गुणों, धीर, गम्भीर, परिश्रमी, परोपकारी, धनी, सुखी, नीतिज्ञ, दयालु, स्थिर बुद्धि, दूरदर्शी, सदाचारी तथा प्रतिभाशाली होता है। (13) अस्वेदन-ऐसी हथेली पसीने से रहित होती है तथा जातक सुखी एवं सफल जीवन बिताता है।

(14) मृदु- सुवर्ण (Soft and Colourful)-ऐसी हथेली अत्यन्त कोमल तथा सुनहरे रंग की तथा कमल-गर्भ के समान अत्यन्त सुन्दर होती है और जातक समस्त बीबीसद्गुणों से युक्त, धन वाहन सम्पन्न, उच्चाधिकारी तथा सब प्रकार से सुखी होता है। 

(15) मृद (Soft)-ऐसी हथेली अत्यन्त कोमल होती है तथा जातक सली तथा शान्त जीवन बिताता है।

 (16) कठोर (Hard) - ऐसी हथेली कड़ी होती है तथा जातक कठोर शारीरिक परिश्रम द्वारा आजीविका उपार्जित करता है। वह अस्थिरमति, चंचल, अल्प-शिक्षितथा अदूरदर्शी होता है।


17) रेखाहीन (Line-less)- ऐसी हथेली में रेखाओं का अभाव रहता है तथा जातक दुःखी, निर्धन, आलसी, अल्पायु, असफल, बुद्धिहीन, सर्वत्र तिरस्कृत तथा भिक्षुक होता है।



(18) बहुरेखीय (Thickly-lined)- ऐसी हथेली में बहुत अधिक रेखाएं पाई जाती हैं तथा जातक अल्पायु, दुःखी, निर्धन, दुर्भाग्यशाली, मन्दबुद्धि तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में असफल होता है।




(19) विस्तीर्ण (Broad)-ऐसी हथेली चौड़ी तथा फैली हुई होती है तथा जातक उदार, परिश्रमी, बुद्धिमान, धनी, दूरदर्शी, धीर, गम्भीर, सत्यवादी, सदाचारी, सद्गुणी यशस्वी, परोपकारी तथा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलताएं पाने वाला होता है। 

(20) प्रोत्सान (Highly developed ) - ऐसी हथेली अत्यधिक उन्नत तथा उभरी हुई होती है तथा जातक दानी, अत्यन्त उदार तथा उच्चश्रेणी का महापुरुष होता है।




17 टिप्‍पणियां:

  1. आप जैसे साध्वी के ज्ञान के लेखों को पढ़ कर धन्य हो गए हम।
    बहुत बहुत साध्वी जी 🙏🙏

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  2. आपके श्री चरणों में वंदन नमन माता जी

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  3. हस्त रेखा ज्ञान हर किसी को नही होता
    धन्यवाद साध्वी बहन हम से शेयर करने के लिए।

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  4. आप ने तो बहुत ही छोटी उम्र में दीक्षा ले ली 🙏
    और इतनी कम उम्र में इतना ज्ञान ज़रूर पीछले जन्म से ही है आप के ज्ञान और त्याग को शत शत प्रणाम नमन 🙏🙏👌👌🌈

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