लाल किताब के अनुसार
तख्त मिले से साल, आला दौलत धन शाही हो विष्णु (सूर्य), ब्रह्मा (बृहस्पति), पालन सृष्टि भाग्य उदय त्रिलोकी हो बाप बेटे का दोनों दुनिया लेख नसीबा मिलता हो जुदा-जुदा ख्वाह लाखों मंदा मिलते सुखी दो होता हो दोनों देखें जब चंद्र माता खुशक कुओं में ज़र भरता हो नजर दृष्टि शनि जो करता सोया जला फल दो का हो साथ-साथी ख्वाह माता (चंद्र) अंधी पिस्तान (बुध) भरे दुध होती हो बुध मगर जब हो कभी साथी रवि गुरु दो कैदी हो
1. टेवे वाले की 38 साल की आयु में।
बृहस्पत्ति के साथ सूर्य के वक्त किस्मत का संबंध गैरों के साथ से नेक मगर अलौकिक होगा। सांसारिक कार्यों में कामयाबी जरूर होगी मगर अपनी कोशिश से आपसी मिलावट में अगर सूर्य का असर 3 हो तो बृहस्पति का असर सिर्फ 2. ही होगा जिसमें पहले बृहस्पति का, फिर सूर्य का प्रभाव शुरू होगा। दोनों मिलकर चंद्र बन जाते है मगर भाग्य का असर शेर की रफ्तार, शेर की शक्ति और दमकते सोने की सह होगी। बृहस्पति अकेला होने के वक्त अगर उससे अर्थ बाबा या दादा या जगतगुरु हो सूर्य के साथ होने पर तो बृहस्पति से अर्थ टेवे वाले का बाप और सूर्य से उसका लड़का दिन बाएगा या ऐसे कहें कि टेवे वाले की किस्मत में उसके बाप और बेटे की किस्मत का असर शामिल होगा। उसकी किस्मत उसके बाप और अपने बेटे को मदद देगी। बुदबुदा व दोनों ग्रह बेशक मंदे असर के हों मगर एक साथ होने से दोनों का भला असर और नीचे लिखे सालों तक बाप, बेटे दोनों ही के लिए उत्तम और हर दो ग्रह का मिला हुआ असर उत्तम होगा।
Very nice
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