मासूमियत, शुचिता, हल्कापन फ्रेशनेस, ताजगी, निर्विकारता, सौभ्यता, प्रकाश, उदारता,
स्वच्छता, निष्कपटता, अक्षुब्धता, विशालता/उदारता, जागृति, सेवा, सादगी, सद्भावना,
ममता, चैतन्यता, निर्भयता और निश्चिंतता/ आनन्द का द्योतक है। यह दृष्टा में
शुद्धता, शांति, सद्भावना पवित्रता और हल्केपन के भाव उत्पन्न करता है। जो लोग
सफेद रंग अधिक पसन्द करते हैं, अथवा सफेद वस्त्रों को अधिक धारण करते हैं वे
लोग सरलहृदय, निश्छल, निष्कपट, सादगीपसंद आडम्बररहित, बालकों की भांति भोले
मासूम या स्वच्छ हृदय वाले, शांत व सौम्य प्रवृति के, उदार, दयालु, उपकारी स्वभाव
वाले, खुशदिल, निश्चिंत, निर्भय तथा शुद्धात्मा होते हैं। (पेशे के कारण सफेद एप्रिन
पहनने वाले डॉक्टर नर्स तथा सफेद खद्दर पहनने वाले नेता इस श्रेणी में नहीं आते।
यद्यपि वे प्रायः सफेद रंग पहनते हैं अतः कुछ न कुछ उपरोक्त गुणों भावों से प्रभावित
होते हैं। किंतु अन्य रंगों के वस्त्र भी साथ में पहने गए होते हैं। दूसरे मजबूरी के तहत
सफेद वस्त्र पहने गए होते हैं। प्रायः मन से उन्हें सफेद रंग की बजाए कोई अन्य रंग
पसंद होता है। अतः उपरोक्त सिद्धांत को प्रयोग करते समय इन सम्भावनाओं का भी
विचार करें। सिद्धांत का 'अंधा प्रयोग' गलत निष्कर्ष पर पहुंचा सकता है)।
नोट-काले तथा सफेद रंग के लाभ भी असंतुलित होकर विकार उत्पन्न करने
पर रंग/ सूर्य चिकित्सा से प्राप्त किए जाते हैं और उन्हें संतुलित किया जाता है। (सफेद
रंग तो हमें प्रकाश में सहज ही प्राप्त होता है, किंतु काले रंग की पूर्ति गाढ़े नीले/ गाढ़े
हरे/गाढ़े ब्राऊन आदि रंगों से भी की जाती है। वैसे विरले ही मामलों के काले रंग की
कभी इस स्तर पर होती है, कि उसे बढ़ाने की आवश्यकता पड़े क्योंकि नकारात्मकता
किसी-न-किसी रूप में लोगों में विद्यमान रहती ही है और उसका कम होना ही उत्तम
होता है, इसलिए सामान्यतः इसे बढ़ाने की आवश्यकता ही नहीं होती। कम-से-कम
लौकिक मामलों में। परंतु आध्यात्मिक क्षेत्र में या आध्यात्मिक लाभ-प्राप्ति के लिए
कभी काले रंग का प्रभाव बढ़ाने की आवश्यकता भी पड़ जाती है, मगर युक्तिपूर्वक) ।
अन्य प्रमुख रंगों के प्रभाव बहुत कुछ मूल रंगों के प्रभाव पर ही आधारित होने
हैं। फिर भी कुछ प्रमुख भावों को यहां संक्षेप में पाठकों के लाभार्थ दे रहे हैं।
नारंगी/ संतरी केसरिया रंग-नारंगी तथा इसी परिवार के (लाल + पीले के
मिश्रण से बने रंग) अन्य रंग जोश, ऊष्मा, ऊर्जा, शक्ति, वीरता, पराक्रम और
जीवंतता के द्योतक हैं। अतः वीर, साहसी, आत्मविश्वासी और ऊर्जावान लोगों की
पसंद है नारंगी रंग। यह उत्साहवर्धक और सक्रियता के लिए प्रेरित करने वाला रंग
है। आलसी, प्रमादी, निर्बल, कायर, उत्साहहीन तथा आत्मबलहीन लोगों को इस रंग
की शरण लेनी चाहिए।
हरा (तोते जैसा, पतों जैसा, काई जैसा आदि)- हरा व इस परिवार के (नीले
+ पीले के मिश्रण से बने रंग) अन्य रंग उल्लास, खुशहाला सम्पन्नता, प्राकृतिक
प्रसन्नता, हर्ष, एवं रमणीयता को रिप्रजेन्ट करने वाले हैं। मस्तिष्क आंखों व शरीर को
• विश्राति प्रदान कर तरोताजा करते हैं। ताप को घटाने वाले तथा व्यग्रता को कम करने
वाले हैं। किंतु नीला रंग अधिक होना (गहरा हरा रंग) कुछ अकर्मव्यता भी (शिथिलता)
उत्पन्न करता है। जबकि पीले रंग की अधिकता वाला हरा रंग (तोते जैसा या कच्चे
• नीबू जैसा) हर्ष व प्रसन्नता की अधिकता से विश्रांति और सुकून तो देता है किंतु
शिथिलता या अकर्मण्यता नहीं आने देता। (ऐसा ही नारंगी रंग के परिवार के रंगों में
भी समझना चाहिए। लाल रंग की अधिकता ऊष्मा, ताप, क्रोध, हिंसा तथा बेचैनी को
बढ़ा देने वाली होती है, जबकि पीले रंग की अधिकता उमंग, उत्साह, सक्रियता और
जोश को बढ़ा देने वाली तथा सन्नद्धता उत्पन्न करने वाली होती है)।
बैंगनी/जामुनी/माँव/प्याजी रंग-जो रंग बैंगनी परिवार के हैं (लाल + नीले
के मिश्रण से बनने वाले) वे शिथिल और ऊर्जावान रंग के मिश्रण के कारण
अजीब-सा प्रभाव डालते हैं। ऐसे रंग पसंद करने वाले लोग कम विकसित मानसिक
स्तर/कम बौद्धिक सामर्थ्य वाले, ऊर्जावान एवं जल्दबाज किंतु शक्ति की कमी वाले
अतः अपने आवेगों तथा मनोभावों पर नियंत्रण न रख पाने वाले, अशिष्ट/गंवार/फूहड़
बचकाने स्वभाव वाले तथा एक हद तक असुरक्षा-बोध से ग्रस्त तथा अनिश्चित
विचारों वाले होते हैं। प्रायः बालकों तथा ग्रामीणों को ऐसे रंग अधिक पसंद होते हैं।
परंतु प्याजी/मॉव रंग में सफेद रंग का भी मिश्रण हो जाने से भावनात्मकता अधिक
शामिल रहती है। ऐसे लोग किसी का आश्रय या भावनात्मक सहारा पाने के लिए।
आतुर रहते हैं तथा Sex या विपरीत लिंगता के आधार पर भी सामने वाले का
सहयोग/सामीप्य पाना चाहते हैं। मानसिक रूप से ये अशक्त व एकाकी अनुभव
करते हैं। फिर भी यदि लाल रंग की अधिकता हो (फालसे जैसा रंग) जो ऊर्जा, जोश
व उमंग के संचारण के साथ सबके आकर्षण का केन्द्र बनने की इच्छा व चंचलता
का समावेश हो जाता है। किंतु नीले रंग की अधिकता हो (जामुन जैसा) तोनिद्रा/जड़त्व, आलस्य, प्रमाद, शिथिलता, अकर्मव्यता, उत्साहहीनता तथा लाचारगी जैसे भावों की (तमोगुण प्रधान) अधिकता प्रभाव समाविष्ट होता है।
फिरोजी/टर्किश ग्रीन / टर्किश ब्ल्यू - इस प्रकार के रंग नीले व हरे रंग के संयोजन से बनते हैं। ये रंग अपेक्षाकृत आकर्षक होते हैं तथा शांतिप्रद होते हुए भी इनसे एक शोखी उत्पन्न होती है। ऐसे रंग पसंद करने वाले लोग आडम्बरी स्वभाव के, सुख/ स्वार्थ को प्राथमिकता देने वाले, विलास-ऐश्वर्य-सौंदर्यप्रेमी, काम भावना युक्त, विपरीत लिंगी का सामीप्य पाने को आतुर होते हैं। यह रंग वस्तुतः कामुकता/ कामभावना को बढ़ाने वाला है। अन्य क्षेत्रों में यह सक्रियता प्रदान नहीं करता किंतु Sex के क्षेत्र में सक्रियता के लिए प्रेरित करता है। प्रायः सुंदर तथा कमनीय स्त्रियों को ऐसे रंग ही पसंद आते हैं। (यदि अन्य क्षेत्रों में ऊर्जा का स्तर बढ़ा हो तथा आत्मविश्वास से पूर्ण हो तो रानी फालसे जैसा/डीप पिंक रंग पसंद करती है। किंतु यदि कर्मठ व ऊर्जावान तथा आत्मबली न हो, मात्र Sex के क्षेत्र में ही अधिक रुचि, ऊर्जा व प्रेरणा हो तो फिरोजी/टर्किश रंग ही पसंद करती है)।
अन्य रंगों में हल्का गुलाबी-वासना, आकर्षण तथा उमग को, हल्का नीला / आसमानी- विस्तार, ताजगी, तथा खुलेपन के अहसास / स्वतंत्रता के भाव को, हल्का पीला (क्रीम) उल्लास, हर्ष, प्रसन्नता, चैतन्यता के भावों को भी स्थिरता व शांत तरीके से / गरिमापूर्वक (अतः शालीनता/गरिमा/परिपक्वता को), बसंती रंग-ज्ञान और विद्वत्ता को, एक उल्लास या मुस्कान के साथ, हल्का हरा रंग-उथले स्तर की शांति, असुरक्षा/ अशक्ता के कारण शांत बने रहने, अथवा असमंजस की स्थिति को, चॉकलेटी/भूरा रंग-दुविधा, उलझन, आशंका, अनिश्चितता/अनिर्णय की स्थिति तथा असुरक्षा-बोध को दर्शाने वाले रंग हैं। काले तथा सफेद रंग के संयोजन से बना 'ग्रे' (सिलेटी) रंग रहस्य, गोपनीयता, भेद, गहनता / गम्भीरता, अतिपरिपक्वता / वार्धक्य (बुढ़ापा) तथा धैर्य और दूरदर्शिता को प्रदर्शित करता है। क्योंकि इसमें सफेद चेतना (जागृति) और काला शिथिलता निष्क्रियता दोनों का ही समावेश है। सफेद रंग की अधिकता (Light Gray) परिपक्वता/ज्ञान या ऑब्जर्वेशन के कारण आने वाले स्थायित्व स्थिरता को प्रदर्शित करता है किंतु काले रंग की अधिकता (Dark (Gray) निष्क्रियता/भेद रहस्य / गोपनीयता प्रमाद के कारण होने वाली स्थिरता / जड़त्व का सूचक है)। यही कारण है कि प्रायः उच्चस्तरीय बिजनिसमेनों को ग्रे रंग अधिक पसंद होता है। वे इस रंग के वस्त्र अधिक पहनते हैं। जबकि नारंगी बसंती रंग में मिला सफेद रंग 'भगवा रंग' भक्ति, वैराग्य, समर्पण तथा ईश्वरीय शक्ति के सम्मुख समर्पण/त्याग के कारण उपजी शांति/हल्कापन/ स्थायित्व/अडिगता तथा चंचलता से रहित हो जाने का द्योतक है। यह ज्ञान की गहनता को भी परिलक्षित करने वाला आनन्दप्रद रंग है।
हमारे जीवन में रंगो का बहुत महत्व है इसलिए जीवन में रंगो का चयन बहुत ही ध्यान से करें।
जैन साध्वी महाप्रज्ञ
Good knowledge
जवाब देंहटाएंIntersting 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंGood information
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जानकारी
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा दिया गया ज्ञान अद्भुत है
जवाब देंहटाएंरंगो का भी महत्व होता है आज समझ आया
जवाब देंहटाएंआपके ज्ञान को नमन
जवाब देंहटाएं🙏🌷👌उपयोगी, आभार दीदी🙏
जवाब देंहटाएंअद्भुत🙏🙏काफी ज्ञानबर्धक🙏🙏🙏🌷
जवाब देंहटाएं🙏💐🙏
जवाब देंहटाएं👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय बहन मुझसे साझा करने के लिए। आपके उद्बोधन को आप मुझसे हमेशा ही साझा करें मुझे आपके उद्बोधन हमेशा से ही बहुत प्रिय हैं।
जवाब देंहटाएं👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय बहन मुझसे साझा करने के लिए। आपके उद्बोधन को आप मुझसे हमेशा ही साझा करें मुझे आपके उद्बोधन हमेशा से ही बहुत प्रिय हैं।
जवाब देंहटाएंBahut sunder jankari
जवाब देंहटाएंसुंदर लेख
जवाब देंहटाएंSach hai rango ka prabhav hmare jivan par padta hai
जवाब देंहटाएं👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दीदी जी
जवाब देंहटाएंअब पता चला आप इतने सरल और सहज क्यों है
आभार दीदी जी
👌👌
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