गुरुवार, 4 नवंबर 2021

वास्तु शास्त्र का स्वास्थ्य से संबंध



 ईशान कोण से जाने स्वास्थ्य 


१) पूर्वोत्तर की ईशान्य उपदिशा:

किसी भी भवन की पूर्व दिशा के मध्य से लेकर उत्तर दिशा के मध्य का भाग ईशान्य कोण कहलाता है यह उपदिशा सबसे सौम्य और शीतल गुणों से युक्त होती है। प्रातः काल की सूर्य की कोमल किरणों का अधिक मात्रा में लाभ इस कोण को मिलता है जिसके कारण यह भवन के बाकी कोणों से अधिक लाभदायक एवं उपयुक्त सिद्ध होता है। इस दिशा में कमरा हमेशा प्रसन्नता एवं सुकून का अहसास दिलाता है। प्रातः काल की सूर्य की किरण में सभी प्रकार के पोषक तत्व समाविष्ट रहते हैं। ये पोषक तत्व मनुष्य के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं। इस दिशा में बने कमरे में रहने से सकारात्मकता की प्राप्ति होती है। बच्च का यहाँ पर रहना अत्यंत लाभदायक होता है। इस दिशा में रहने वाले बच्चे हमेशा स्वस्थ प्रसन्न, स्फूर्ति युक्त एवं सकारात्मक सोच विचार के साथ अध्ययन करते हैं व जीवन में सफलता पा सकते हैं



परिवार में यदि कोई धार्मिक या शुभ कार्य करना हो तो इस दिशा में बने कमरे का उपयोग करना चाहिए यह उपदिशा सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अत्यंत लाभदायक होती है। यदि परिवार संबंधी कोई हितका निर्णय लेना हो तो इस दिशा में बने कमरे का उपयोग करना चाहिए। यहाँ पर लिये जाने वाले किसी भी फैस पर सभी परिजनों की आपस में सहमति बनती है और हर एक फैसला सभी परिजनों के हित में कार्य करता है यहाँ पर सभी परिजनों का एकत्रित होना परिवार के लिए अच्छा होता है। सभी परिजन यहाँ पर अपने विद्या को बिना किसी भी प्रकार के दबाव को अनुभव किए हुए अच्छी तरह से व्यक्त कर सकते हैं। इसके मह को देखते हुए इस कोण को हमेशा स्वच्छ, सुगन्धित एवं प्रकाश युक्त रखना ही समझदारी मानी जाएगी।

जैन साध्वी महाप्रज्ञ

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर वर्णन महाराज जी

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  2. बहुत ही अच्छा लगता है आपके लेख पढ़ कर

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  3. वन्दामि माता जी।🙏आपने ईशान कोण के बारे में बहुत सुन्दर जानकारी प्रदान की है।

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